दूसरे मैच में प्रभमन काले मोहरों से मथेश कुमार (पुडुचेरी) के विरुद्ध खेल रहे थे, ई4 के जवाब में प्रभमन ने डी5 स्कैंडिनेवियन डिफेंश से शुरुवात की, मैच में 15 चाल में प्रभमन से एक गलती हो गई जिसके कारण उनका राजा थोड़ा कमजोर हो गया लेकिन बाद में विरोधी ने भी 30वीं चाल में गलती कर दी। इस प्रकार वो गेम में वापस आ गए एवं अंत में जीत हासिल की।
तीसरे मैच में प्रभमन ने सफेद मोहरों से अपने विरोधी साई दर्शित के सामने लंदन सिस्टम से शुरुवात की एवं 13वीं चाल में एक शानदार तालमेल के साथ बढ़त हासिल कर ली और अंत में 49 चाल में मैच जीत लिया।
चौथी बाजी में साई सिवा (आंध्र प्रदेश) के साथ चला। इस मैच की खास बात ये रही कि काले मोहरों से खेलते हुए प्रभमान ने मात की एक बहुत ही पुरानी पद्धति ग्रेकोश मेट दिखाया जिसको बचाते हुए विरोधी को अपना हाथी देना पड़ा। इस बढ़त को बाद में प्रभमान ने जीत में बदल दिया।
पांचवा मैच अपने से अधिक रेटिंग वाले (प्रथमेश शाह 1591 रेटिंग) से खेला। प्रभमन सफेद मोहरों के साथ अपना फेमस लंदन सिस्टम ओपनिंग इस्तेमाल किया, दोनों खिलाड़ी सटीक चाले चलते हुए आगे बड़ते रहे, हाथी के अंत खेल में प्रभमन दो प्यादो की बढ़त बना चुके थे जो निर्णायक होता। लेकिन समय की कमी के कारण प्रभमन ड्रॉ के लिए सहमत हो गए।
छठवें मैच को प्रभमान ने श्रवण से मात्र 24 चालों में जीत लिया।
सातवें मैच में प्रभमन के सामने सफेद मोहरों से जयवर्धन (1590 रेटिंग) खेल रहे थे, ये मैच बहुत ज्यादा कठिन था, क्वीन पॉन गेम से ओपनिंग के बाद दोनो ही अंत खेल तक गेम को ले गए और वहा पर ड्रॉ पर सहमत हुए। आठवां और नवा मैच प्रभमन बहुत आसानी से जीत गए। अबतक उनका स्कोर 9 मैच में 8 प्वाइंट था, उन्होंने अब तक कोई भी मैच नहीं गवाया था लेकिन दुर्भाग्य से आगे के दो मैच
वो हार गए। 10वें मैच में विवान (महाराष्ट्र) के विरुद्ध शुरुवात में हुई गलती के कारण मैच हार गए इसमें विवान का ऊट प्रभमान पर हावी हो गया जिसके कारण विरोधी को बढ़त मिल गई जो जीत में बदल गई।
लास्ट मैच में वो सफेद मोहरों से खेल रहे थे और काले मोहरों से 1572 रेटिंग के साथ ज्वाल पटेल (गुजरात) खेल रहे थे, प्रभमन अपनी जीत लगभग निश्चित कर चुके थे लेकिन 33वें चाल में हुई गलती ने प्रभमन को मैच छोड़ने पर मजबूर कर दिया और इस प्रकार जीता हुआ मैच हाथ से चला गया। रायपुर के प्रख्यात कोच एवं ऑनलाइन राष्ट्रीय शतरंज चयन स्पर्धा में आर्बिटर के दायित्व का निर्वहन कर चुके रविकुमार ने प्रभमन द्वारा हारी हुई आखरी बाजी का विश्लेषण करते हुए कहा कि प्रभमन अपने विरोधी पर इस मैच में भी भारी था किंतु समयाभाव के कारण जल्दबाजी में सटीक गणना न कर पाने की वजह से हुई चूक ने मंजिल पाने से उन्हें एक कदम दूर कर दी।
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